कई बार हमारे सामने ऐसे हालात होते हैं जबकि हमें अपनी परेशानी का कोई हल दिखाई नहीं देता और कई बार ऐसा होता है कि परेशानी के हल एक से ज़्यादा दिखाई देते हैं। पहली हालत में हमें हल की तलाश होती है और दूसरी हालत में हमें यह जानने की ख्वाहिश होती है कि कौन सा रास्ता सबसे बेहतर है ?
जब हम परेशानी से घिरे होते हैं और कुछ तय नहीं कर पाते, तब हमारा दिल चाहता है कि काश कोई तरीक़ा ऐसा होता कि हम किसी से पूछ लेते कि हम क्या करें ?
तब हम अपने से ज़्यादा जानने वाले किसी बुज़ुर्ग या किसी काउंसलर के पास जाकर उसकी सलाह लेते हैं। यह अच्छा तरीक़ा है। कई बार ऐसा होता है कि उनकी सलाह लेकर काम करने के बावजूद नुक्सान उठाना पड़ता है।
नुक्सान से बचने के लिए या नुक्सान की भरपाई के लिए लोग ज्योतिष और तंत्र-मंत्र के जानकारों की सलाह लेते हैं जो कि लोगों का भला कम और अपना भला ज़्यादा करते हैं।
आदमी इधर उधर भागता है लेकिन प्रार्थना नहीं करता और उससे नहीं करता जिसने कि उसे पैदा किया है। जिसने इंसान को पैदा किया है, उसके ज़िम्मे है कि वह उसे मार्ग दिखाए।
ऐसी हालत में ‘इस्तख़ारा‘ से काम लिया जाता है। दुआ के मामले में ‘इस्तख़ारा‘ का अर्थ है अल्लाह से ख़ैर तलब करना। ‘इस्तख़ारा‘ एक दुआ है, जिसमें बंदा अपने रब से ख़ैर तलब करता है।
पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस्तख़ारे के लिए एक ख़ास दुआ सिखाई है। रूहानी दरवेश इस दुआ के ज़रिये काम लेते हैं। मुस्लिम दरवेशों का यह तरीक़ा रहा है कि वे दिन के शुरू में दो रकअत नमाज़ अदा करके ‘इस्तख़ारे की दुआ‘ करते हैं और इस तरह वे पूरे दिन ख़ैर के रास्ते पर चलते हैं।
यह दुआ लंबी है। कुछ लोग हैं जो इतनी लंबी दुआ याद नहीं कर सकते या उन्हें नमाज़ पढ़ना नहीं आता। उनके लिए रूहानी दरवेशों ने कुछ दुआएं और भी बताई हैं जिनके ज़रिये आदमी पता कर सकता है कि उसके लिए किस काम में भलाई है ?
अल्लाह का एक नाम ‘अल-ख़बीरू‘ है, जिसका अर्थ है ‘हर चीज़ की पूरी ख़बर रखने वाला‘। जब अल्लाह को इस नाम से पुकारा जाता है तो पुकारने के लिए शुरू में ‘अल‘ शब्द हटाकर ‘या‘ शब्द लगा दिया जाता है।
‘या ख़बीरू‘ - ऐ हर चीज़ की पूरी ख़बर रखने वाले
दुआ का तरीक़ा-अगर आपको किसी बिज़नेस में रूपया लगाना है या बेटे-बेटी का रिश्ता तय करना है या इसी तरह का कोई और काम करना है तो जब आप सोने के लिए जाएं तो नहा लें या मुसलमानों की तरह वुज़ू कर लें, जैसे कि नमाज़ से पहले वुज़ू की जाती है।
वुज़ू का तरीक़ा यह है- ( लिंक पर जाएँ )
जब हम परेशानी से घिरे होते हैं और कुछ तय नहीं कर पाते, तब हमारा दिल चाहता है कि काश कोई तरीक़ा ऐसा होता कि हम किसी से पूछ लेते कि हम क्या करें ?
तब हम अपने से ज़्यादा जानने वाले किसी बुज़ुर्ग या किसी काउंसलर के पास जाकर उसकी सलाह लेते हैं। यह अच्छा तरीक़ा है। कई बार ऐसा होता है कि उनकी सलाह लेकर काम करने के बावजूद नुक्सान उठाना पड़ता है।
नुक्सान से बचने के लिए या नुक्सान की भरपाई के लिए लोग ज्योतिष और तंत्र-मंत्र के जानकारों की सलाह लेते हैं जो कि लोगों का भला कम और अपना भला ज़्यादा करते हैं।
आदमी इधर उधर भागता है लेकिन प्रार्थना नहीं करता और उससे नहीं करता जिसने कि उसे पैदा किया है। जिसने इंसान को पैदा किया है, उसके ज़िम्मे है कि वह उसे मार्ग दिखाए।
ऐसी हालत में ‘इस्तख़ारा‘ से काम लिया जाता है। दुआ के मामले में ‘इस्तख़ारा‘ का अर्थ है अल्लाह से ख़ैर तलब करना। ‘इस्तख़ारा‘ एक दुआ है, जिसमें बंदा अपने रब से ख़ैर तलब करता है।
पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस्तख़ारे के लिए एक ख़ास दुआ सिखाई है। रूहानी दरवेश इस दुआ के ज़रिये काम लेते हैं। मुस्लिम दरवेशों का यह तरीक़ा रहा है कि वे दिन के शुरू में दो रकअत नमाज़ अदा करके ‘इस्तख़ारे की दुआ‘ करते हैं और इस तरह वे पूरे दिन ख़ैर के रास्ते पर चलते हैं।
यह दुआ लंबी है। कुछ लोग हैं जो इतनी लंबी दुआ याद नहीं कर सकते या उन्हें नमाज़ पढ़ना नहीं आता। उनके लिए रूहानी दरवेशों ने कुछ दुआएं और भी बताई हैं जिनके ज़रिये आदमी पता कर सकता है कि उसके लिए किस काम में भलाई है ?
अल्लाह का एक नाम ‘अल-ख़बीरू‘ है, जिसका अर्थ है ‘हर चीज़ की पूरी ख़बर रखने वाला‘। जब अल्लाह को इस नाम से पुकारा जाता है तो पुकारने के लिए शुरू में ‘अल‘ शब्द हटाकर ‘या‘ शब्द लगा दिया जाता है।
‘या ख़बीरू‘ - ऐ हर चीज़ की पूरी ख़बर रखने वाले
दुआ का तरीक़ा-अगर आपको किसी बिज़नेस में रूपया लगाना है या बेटे-बेटी का रिश्ता तय करना है या इसी तरह का कोई और काम करना है तो जब आप सोने के लिए जाएं तो नहा लें या मुसलमानों की तरह वुज़ू कर लें, जैसे कि नमाज़ से पहले वुज़ू की जाती है।
वुज़ू का तरीक़ा यह है- ( लिंक पर जाएँ )
अब एक साफ़ कपड़ा बिछाकर कुछ देर तक अपने पैदा करने वाले का शुक्रिया अदा करें कि उसने आपको अच्छी शक्ल सूरत और सोचने समझने के लिए अक्ल दी और ढेर सारी दूसरी नेमतें दीं। इसके बाद आप उसके सामने अपनी समस्या रखें और फिर उसके हल की दुआ मांगें। यह दुआ दिल से निकलनी चाहिए। हालत बिल्कुल ऐसी होनी चाहिए जैसे कि एक गोद का बच्चा भूख में अपनी मां को पुकारता है। यह दुआ जितनी देर तक करना चाहें, करें। आपको तुरंत शांति मिलेगी।
इसके बाद जितनी देर आपके लिए आसानी से संभव हो, उतनी देर बैठकर ‘या ख़बीरू‘ का जाप करें। आप हाथ में तस्बीह (माला) भी ले सकते हैं और बिना तस्बीह के भी यह जाप कर सकते हैं। इसके बाद आप बिना किसी से बोले हुए यही यही नाम जपते जपते सो जाएं और दिल में अपने काम का ध्यान भी रखें, जिसके लिए आप रब से दुआ कर रहे हैं।
पहले से लेकर सातवें दिन तक किसी भी दिन आपको एक ऐसा सपना दिखाई देगा जैसा कि आप आम तौर पर नहीं देखते। वह सपना पूरी तरह से साफ़ होगा और उसमें आपको पूरा हल दिखाया जाएगा। सपने का अर्थ अपनी तरफ़ से जानने की कोशिश करने के बजाय उसके बारे में उससे जानकारी लें जो कि सपनों के फल की जानकारी रखता हो और बदले में पैसे न लेता हो।
बहुत से लोगों को सपने कम नज़र आते हैं या उठकर भूल जाते हैं। उन्हें जागते हुए ही कोई आदमी अचानक मिलेगा और उन्हें उनकी समस्या का हल बताएगा और इस हल पर उनका दिल भी जम जाएगा।
हमने आज तक बहुत से मुस्लिम और ग़ैर-मुस्लिम भाई बहनों को इस नाम के साथ दुआ करने के लिए बताया है और हमेशा उन्हें उनकी समस्या का हल मिला है।
जो आदमी यह नाम रोज़ाना चलते फिरते पढ़ता रहता है। उसकी हालत यह हो जाती है कि वह अपने पास आने वालों के ख़याल तक जान लेता है। इस तरह वह अपने दोस्त और दुश्मनों के इरादों से भी वाक़िफ़ हो जाता है। इसके अलावा वह जिस बात को जानने की नीयत करता है, वह बात उसे पता होने के ज़रिये पैदा हो जाते हैं।
बहुत लोगों ने इस नाम के ज़रिये ज़मीन में गड़ा हुआ धन भी तलाश किया है और कुछ लोगों ने इस नाम के ज़रिये सट्टे का नंबर भी पता लगाया है।
ग़लत काम करना भी गुनाह है और उसके लिए रब से दुआ करना और भी बड़ा जुर्म है। हमेशा जायज़ मक़सद के लिए ही दुआ करनी चाहिए। नाजायज़ काम के लिए दुआ करने वालों को नुक्सान उठाना पड़ा है।
ख़ैर तलब करने का मतलब ही यही है कि जायज़ काम में आगे बढ़ने के लिए दुआ करना।
कुछ लोग ऐसे होते हैं कि वे अक्सर बीमार पड़ते रहते हैं या लंबे अर्से से बीमार पड़े हुए हैं। मेडिकल जांच में कोई बीमारी नहीं आती या दवाएं खाने के बाद भी उनकी बीमारी नहीं जाती या किसी औरत के बच्चा नहीं होता या कारोबार नहीं चलता। ऐसे में कोई ज्योतिष या तांत्रिक कह देता है कि आप पर जादू किया गया है। आपको उपाय करना होगा। आपसे उपाय करने के नाम पर वह आपसे मोटी रक़म वुसूल करता है और बदले में वह दस रूपये की हांडी में पांच रूपये के नींबू-मिर्च वग़ैरह डालकर आपको दे देता है कि इसे कीकर के पेड़ में लटका देना। आपका उतार कर दिया गया है।
अगर इस तरह के उपाय करके हार चुके हों तो भी आप इस पाक नाम से फ़ायदा उठा सकते हैं।
सपने में आपको दिखाया जाएगा कि आपकी समस्या के पीछे क्या कारण है और उसका क्या हल है ?
ध्यान रहे कि वही आप देखेंगे जो कि आप देखना चाहेंगे। अगर आप सिर्फ़ समस्या का कारण देखना चाहेंगे तो सिर्फ़ कारण देख पाएंगे और अगर समस्या का कारण और हल दोनों देखना चाहेंगे तो आप दोनों देख पाएंगे।
दरअसल यह अपने अवचेतन मन में उतरकर रूहानी दुनिया में प्रवेश करने की प्रक्रिया है। इसलिए सावधान रहें। आप जितना अधिक तैयार होंगे, उतना ही ज़्यादा ग्रहण कर पाएंगे।
कश्फ़ुल-क़ुबूर यानि क़ब्र वाले बुज़ुर्ग को रूहानी तौर पर देखना
अगर आप किसी ऐसे बुज़ुर्ग के प्रति श्रृद्धा रखते हैं जो कि गुज़र चुके हैं और आप उनसे मुलाक़ात करना चाहते हैं तो उसका तरीक़ा यह है कि आप उनकी क़ब्र पर जाकर रोज़ाना यह नाम इतना पढ़ें कि आप नाम में डूब जाएं। रोज़ाना 40 दिन तक ऐसा ही करें तो उन बुज़ुर्ग से आपकी रूहानी मुलाक़ात होगी और अगर आप इसके बाद भी रोज़ाना ऐसा ही करते रहें तो फिर आप किसी भी वक्त उन बुज़ुर्ग से रूहानी मुलाक़ात कर सकते हैं।
जब आप एक बुज़ुर्ग से रूहानी मुलाक़ात कर लेंगे तो फिर आप जिस मज़ार पर जाएंगे, उन्हीं बुज़ुर्ग से आपकी रूहानी मुलाक़ात हो जाएगी और आप उनका जलवा भी देख लेंगे।
रूहानी मुलाक़ात में बुज़ुर्गों को केवल सलाम करें, उनसे कुछ न मांगें। देने वाला सिर्फ़ एक रब है।
मिलो सबसे लेकिन मांगो एक से। वह एक ही हमारी झोली भरने के लिए काफ़ी है। सारे रूहानी दरवेशों ने यही बताया है।
अल्लाह के नामों के दूसरे और भी बहुत से फ़ायदे हैं, जिन्हें आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं-
1 comment:
bahut achha allah par mujhe bahut bharosha hai inshallah mujhe kamyabi milegi main fr bhi aap se baat karna chahta hun moulana sahab ye mera number hai please 7409181857
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